Not known Details About Shodashi
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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
Her third eye signifies better notion, serving to devotees see further than physical appearances for the essence of reality. As Tripura Sundari, she embodies adore, compassion, and also the Pleasure of existence, encouraging devotees to embrace lifestyle with open hearts and minds.
One of the most revered amongst these is the 'Shodashi Mantra', which happens to be explained to grant both worldly pleasures and spiritual liberation.
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
She is part of your Tridevi plus the Mahavidyas, representing a spectrum of divine femininity and connected with both of those gentle and intense areas.
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥
लब्ध-प्रोज्ज्वल-यौवनाभिरभितोऽनङ्ग-प्रसूनादिभिः
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
संकष्टहर या here संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं